वैज्ञानिकों ने एक ऐसी तकनीक विकसित की है जो DNA में संग्रहीत डेटा को प्रोसेस करने का रास्ता खोलती है। जी हां, आपने बिल्कुल सही पढ़ा! भविष्य में डीएनए सिर्फ आनुवंशिक जानकारी का भंडार ही नहीं होगा बल्कि एक शक्तिशाली कंप्यूटर के रूप में भी काम कर सकता है।
अमेरिका के रॉचेस्टर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलॉजी (RIT) और यूनिवर्सिटी ऑफ मिनेसोटा के इंजीनियरों ने मिलकर DNA में संग्रहीत डेटा को प्रोसेस करने का एक नया तरीका खोज निकाला है। इनका लक्ष्य भविष्य में “बायो कंप्यूटर” (Biocomputers) विकसित करना है, जो DNA की अदभुत क्षमता का इस्तेमाल करके डेटा को स्टोर और प्रोसेस कर सकें।
इस तकनीक में सबसे खास बात यह है कि DNA के अंदर ही डेटा प्रोसेसिंग की जाती है। पारंपरिक कंप्यूटरों की तरह अलग से प्रोसेसर की जरूरत नहीं पड़ती। शोधकर्ताओं ने एक विशेष माइक्रोफ्लुइडिक चिप (Microfluidic Chip) बनाई है, जो DNA के अणुओं को नियंत्रित करके आर्टिफिशियल न्यूरल नेटवर्क (Artificial Neural Network) के जरिए कम्प्यूटेशनल कार्य कर सकती है।
यह तकनीक अभी शुरुआती दौर में है, लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि भविष्य में इसका इस्तेमाल डेटा स्टोरेज की समस्या को दूर करने में किया जा सकता है। DNA बेहद घना डेटा स्टोरेज माध्यम है, जो लंबे समय तक डेटा को सुरक्षित रख सकता है। इसके अलावा, DNA की आत्म-प्रतिकृति (Self-replication) की क्षमता इसे पारंपरिक स्टोरेज माध्यमों से कहीं ज्यादा भरोसेमंद बनाती है।
हालांकि, DNA कंप्यूटिंग को व्यावहारिक रूप लेने में अभी काफी समय लग सकता है। फिर भी, यह शोध भविष्य की टेक्नोलॉजी की एक रोमांचक झलक पेश करता है। शायद आने वाले समय में हम अपने जेब में सुपर कंप्यूटर के रूप में DNA का इस्तेमाल करते हुए देखें!