शेयर बाजार का गुरु मंत्र: EPS देखे, सही निवेश करे!

शेयर बाजार की दुनिया में निवेश करने से पहले कई तरह की चीजों को समझना जरूरी होता है। बेसिक फंडामेंटल देखे बिना हम किसी भी स्टॉक्स में निवेश करेंगे तो हमे नुकसान भी झेलना पड़ सकता है। इस लिए निवेश से पहले स्टॉक के फंडामेंटल देखना जरूरी है, उन्ही में से एक EPS है। आज हम EPS को देख कर सही स्टॉक्स में निवेश करने के बारें में समझेंगे।

EPS क्या है?

EPS यानी Earning Per Share (प्रति शेयर आय)। यह एक महत्वपूर्ण वित्तीय अनुपात है जो किसी कंपनी के शेयरधारकों के लिए लाभप्रदायकता को दर्शाता है। आसान शब्दों में कहें तो EPS बताता है कि कंपनी हर शेयर के लिए कितना मुनाफा कमा रही है। जिस स्टॉक का जितना ज्यादा EPS, वह स्टॉक उतना ही अच्छा माना जाता है, क्योंकि इससे पता चलता है कि कंपनी अपने शेयरधारकों को अच्छा मुनाफा दे रही है।

EPS की गणना कैसे करें?

EPS की गणना एक सरल फॉर्मूले से की जा सकती है।

EPS = कंपनी का शुद्ध लाभ / बकाया शेयरों की संख्या

1) कंपनी का शुद्ध लाभ: यह वह मुनाफा होता है जो कंपनी को एक निश्चित अवधि (आमतौर पर एक वित्तीय वर्ष) में सभी खर्चों का भुगतान करने के बाद बचता है। इसे आप कंपनी की बैलेंस शीट से प्राप्त कर सकते हैं।

2) बकाया शेयरों की संख्या: यह उन सभी शेयरों की संख्या है, जो किसी कंपनी के द्वारा जारी किए जाते हैं और वर्तमान में बाजार में कारोबार कर रहे हैं।

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उदाहरण से समझें EPS को

मान लीजिए कोई एक कंपनी A है और कंपनी A का शुद्ध लाभ ₹100 करोड़ है। कंपनी A में कुल शेयरों की संख्या 10 करोड़ है। तो, कंपनी A की EPS का गणना कुछ इस प्रकार होगा।

EPS = ₹100 करोड़ / 10 करोड़ शेयर = ₹10 प्रति शेयर

इस उदाहरण के जरिए, हम देखेंगे की कंपनी A, अपने हर शेयर के लिए ₹10 का मुनाफा कमा रही है।

EPS के प्रकार

ईपीएस के कुछ बेसिक प्रकार नीचे उल्लिखित हैं,

1) करंट ईपीएस (Current EPS) :- करंट EPS (प्रति शेयर वर्तमान आय), EPS का एक प्रकार है जो किसी कंपनी के भविष्य के अनुमानित लाभ के आधार पर उसकी प्रति शेयर आय को दर्शाता है। यह आमतौर पर विश्लेषकों के अनुमानों पर आधारित होता है कि कंपनी आगामी वित्तीय वर्ष में कितना मुनाफा कमाएगी।

2) ट्रेलिंग ईपीएस (Trailing EPS) :- ट्रेलिंग EPS (प्रति शेयर पिछली आय) ईपीएस का एक प्रकार है जो किसी कंपनी के भविष्य के अनुमानों के बजाय उसके पिछले प्रदर्शन को दर्शाता है। इसे अक्सर “TTM EPS” (ट्रेलिंग ट्वेल्व मंथ्स ईपीएस) के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि यह आमतौर पर पिछले 12 महीनों की कमाई पर आधारित होता है।

3) समायोजित ईपीएस (Adjusted EPS) :- Adjusted EPS, जिसे नॉन-जीएएपी ईपीएस (Non-GAAP EPS) के नाम से भी जाना जाता है। यह भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह व्यवसाय के सामान्य पाठ्यक्रम में कंपनी की कमाई को दर्शाता है। यह ईपीएस की गणना से किसी भी असाधारण वस्तु या गैर-आवर्ती या गैर-नियमित वस्तु को हटा देता है। यह व्यवसाय के सामान्य पाठ्यक्रम में कंपनी की वास्तविक कमाई प्रदान करता है और इस प्रकार शेयरधारकों द्वारा अर्जित सामान्य ईपीएस प्रदान करता है।

4) फॉरवर्ड ईपीएस (Forward EPS) :- फॉरवर्ड ईपीएस भविष्य के अनुमानित लाभ पर आधारित प्रति शेयर आय (ईपीएस) का एक प्रकार है। यह आमतौर पर विश्लेषकों द्वारा आने वाले वित्तीय वर्ष के लिए कंपनी की कमाई का अनुमान लगाकर प्राप्त किया जाता है। फिर, इस अनुमानित लाभ को बकाया शेयरों की संख्या से विभाजित करके फॉरवर्ड ईपीएस प्राप्त किया जाता है।

5) ऑपरेशनल ईपीएस (Operational EPS) :- ऑपरेशनल ईपीएस (Operational EPS), जिसे कैश ईपीएस के नाम से भी जाना जाता है। यह पारंपरिक ईपीएस से अलग है जो शुद्ध लाभ पर आधारित होता है। कैश ईपीएस कंपनी के परिचालन से उत्पन्न वास्तविक नकदी प्रवाह को उसके बकाया शेयरों की संख्या से विभाजित करके प्राप्त किया जाता है।

EPS का महत्व:

  • EPS का उपयोग विभिन्न कंपनियों की लाभप्रदायकता की तुलना करने के लिए किया जा सकता है।
  • यह निवेशकों को यह तय करने में मदद करता है कि उनके धन को किस कंपनी में लगाना बेहतर होगा।
  • EPS का उपयोग कंपनी के प्रदर्शन को समय के साथ ट्रैक करने के लिए भी किया जा सकता है।

EPS का उपयोग करते समय ध्यान रखने योग्य बातें:

  • EPS सिर्फ एक अनुपात है। यह कंपनी के समग्र स्वास्थ्य का पूरा चित्र नहीं बताता है।
  • विभिन्न उद्योगों में लाभप्रदायकता के अलग-अलग मानक हो सकते हैं।
  • कंपनी के भविष्य की विकास संभावनाओं पर भी विचार करना चाहिए।

निष्कर्ष:

EPS एक महत्वपूर्ण वित्तीय अनुपात है जो शेयरधारकों के लिए कंपनी की लाभप्रदायकता को दर्शाता है। इसका उपयोग विभिन्न कंपनियों की तुलना करने और निवेश का निर्णय लेने में मदद करने के लिए किया जा सकता है।

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